
भोपाल: मध्य प्रदेश की तीन राज्य सभा सीटों पर चुनाव के मद्देनजर, विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह को चुनाव के लिए रिटर्निंग अफसर नियुक्त कर दिया गया है। साथ ही चुनाव की अधिसूचना जनवरी के पहले हफ्ते में जारी होने की भी संभावना है।
गौरतलब है कि, 9 अप्रैल 2020 में तीन राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह, प्रभात झा, और सत्यानारायण जटिया का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसलिए चुनाव आयोग ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार दो सीटों पर कांग्रेस के सदस्य चुने जाने की राह आसान है। अभी दो सीटों पर भाजपा के सांसद हैं।चुनाव आयोग द्वारा जनवरी के पहले सप्ताह में राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी कर कार्यक्रम घोषित करनें की संभावना जताई जा रही है।
कांग्रेस से दिग्विजय, सिंधिया एवं अजय सिंह के अलावा, राज्यसभा की रेस में कई और भी नाम।
कांग्रेस में राज्यसभा जानें वाले दावेदारों की लंबी लिस्ट है। वर्तमान सांसद दिग्विजय सिंह के अलावा सबसे मज़बूत दावेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं अजय सिंह की बताई जा रही है। हला की अभी तक पीसीसी चीफ़ के लिये भी कोई नाम फाइनल नही हो पाया है, अब अगर पार्टी सिंधिया को राज्य सभा भेजने का मन बनाती है, तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की दावेदारी पीसीसी चीफ़ के लिये और भी मजबूत हो जायेगी। हालांकि, अतंमि निर्णय आलाकमान को लेना है। सीएम कमलनाथ , दिग्विजय के नाम पर सहमती जता सकते हैं। लेकिन दिग्विजय, सिंधिया एवं अजय सिंह के अलावा, राज्यसभा की रेस में पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन एवं सीएम कमलनाथ के लिए विधानसभा की सीट रिक्त करने वाले दीपक सक्सेना के नामों पर भी कांग्रेस विचार कर सकती है।
कांग्रेस के लिए क्या है, राज्य सभा के सीटों का गणित।
मध्यप्रदेश में खाली होने वाली राज्यसभा की तीन सीटों में से, फिलहाल भाजपा के पास दो और कांग्रेस के पास एक सीट है। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद अब समीकरण बदल चुकें हैं। विधानसभा की मौजूदा सदस्यों की संख्या के मुताबिक कांग्रेस की राह दो सीटों पर आसान दिख रही है। राज्य सभा सदस्यों के चुनाव में प्रत्याशी को जीत के लिए 58 विधायकों के वोटों की जरूरत पड़ती है। कांग्रेस के पास अपनें विधायकों के अलावा कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में एक निर्दलीय विधायक है, तथा तीन निर्दलीय कांग्रेस विचारधारा के हैं और सरकार को समर्थन भी दे रहे हैं। इसी तरह बसपा के दो और सपा का एक विधायक भी कमलनाथ सरकार को समर्थन कर रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के पास 121 विधायकों का समर्थन है। वहीं, भाजपा के 108 विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस के दो प्रत्याशियों की राज्यसभा चुनाव में जीत आसान नजर आ रही है। अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा, कि कांग्रेस अपनें दिग्गजों को कैसे भरोसे में लेती है, और कैसे गुटीय सामंजस्य स्थापित करती है, क्यूंकि पीसीसी चीफ़ एवं राज्यसभा दोनों पर ही कांग्रेस आलाकमान को फैसला लेना है।
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